विटामिन डी का फायदा | Vitamin d se kya fayda

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विटामिन डी से क्या होता है ? What are the Benefits of Vitamin D?

विटामिन डी एक फैट में घुलनशील विटामिन है, जिसका मतलब है की यह वसायुक्त ऊतक (fatty tissue) में संग्रहीत है। इसे हम "सनशाइन विटामिन" भी कहते है, ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारा  शरीर सूर्य के प्रकाश में आने के बाद अपने आप विटामिन डी बनाने में सक्षम है |

आप चाहे तो विटामिन डी के सप्लीमेंट भी ले सकते हैं, आप को बता दे की बहुत कम खाद्य पदार्थों में यह विटामिन पाया जाता है।

शरीर में मौजूद विटामिन डी हमारे शरीर को कैल्शियम और फॉस्फोरस को अवशोषित करने में मदद करता है, जो हड्डियों के निर्माण के लिए ज़रूरी हैं। यह मांसपेशियों, हृदय, फेफड़े और मस्तिष्क के ठीक से कार्य करने में सहायता करता है। 

विटामिन डी की कमी कैसे होती है? What Caused Vitamin D Deficiency?

विटामिन डी की कमी हमारे शरीर में तब होती है जब हमारे शरीर को स्वस्थ रहने के लिए पर्याप्त विटामिन नहीं मिल पता| वे लोग जिनकी उम्र  65 वर्ष से अधिक हैं, या वे मोटापे से ग्रस्त हैं इसके अलावा जिन लोगो का रंग सावला होता है उनमें भी विटामिन डी की कमी होने का खतरा ज्यादा होता है|

यदि हमारे शरीर में विटामिन डी की बहुत ज्यादा कमी हो जाती है तो ऐसे में वयस्कों में ऑस्टियोपोरोसिस और बच्चों में रिकेट्स होने का खतरा बढ़ जाता है |

कुछ शोध बताते हैं की विटामिन डी की कमी अन्य स्थितियों से जुड़ी हो सकती है, जिसमें मधुमेह, उच्च रक्तचाप , अस्थमा , अवसाद , अल्जाइमर और कुछ ऑटोइम्यून रोग भी शामिल हैं।

डॉक्टर एक सिंपल सा टेस्ट करके पता लगा सकते है की आपके शरीर में विटामिन डी की कमी है या नहीं|

विटामिन डी सप्लीमेंट लेते समय ध्यान रखे : 

यदि आप कोई विटामिन डी सप्लीमेंट का इस्तेमाल कर रहे है तो हो सकता है की आपको कोई स्किन रिएक्शन या एलर्जी हो जाए| तो ऐसे में तुरंत अपने डॉक्टर से बात करे| 

यही नहीं  यह विटामिन आपके रक्त शर्करा के स्तर को भी प्रभावित कर सकता है। इसलिए यदि आपको डायबिटीज़ की शिकायत है, तो विटामिन डी लेते समय आपके डॉक्टर को आप पर नज़र रखना होगा | 

इसके अलावा, विटामिन डी सप्लीमेंट लेने से पहले अपने डॉक्टर को ज़रूर बताएं यदि आपको निम्न में से कोई भी परेशानी है या रह चुकी है:

  • हाई या  लो ब्लड प्रेशर 
  • गुर्दे की समस्या और किडनी में पथरी
  • बार-बार सिरदर्द होने की समस्या 
  • थायरॉयड की समस्या
  • हृदय रोग या अन्य हृदय से सम्बंधित समस्या
  • लीवर की कोई परेशानी 
  • कोई इम्युनिटी से समबन्धित परेशानी 
  • पेट में अक्सर रहने वाला दर्द 
  • फेफड़े के विकार
  • त्वचा संबंधी विकार
  • वात रोग

विटमिन डी कितने प्रकार का होता है? Types of Vitamin D

1. विटमिन डी-2: जो हमारा शरीर जज्ब नहीं कर पाता।

2. विटमिन डी-3: जब हम धुप में समय बिताते है तब हमारे शरीर में विटामिन डी-3 बनता है | इसके अलावा यह :

  • एनिमल फैट :
  • फिश ऑयल
  • लिवर
  • अंडे के यॉक
  • दूध से बने प्रॉडक्ट्स आदि में भी अच्छी मात्रा में होता है| 
  • ध्यान रहे की ये हमे सबसे ज्यादा धूप से ही मिलता है।

विटामिन डी कितनी मात्रा में चाहिए होता है? Recommended Daily Intake of Vitamin D

किसी भी सेहतमंद व्यक्ति के शारीर में विटामिन डी का लेवल 50 ng/mL या इससे ज्यादा होना चाहिए। हालांकि 20 से 50 ng/mL के बीच को भी नॉर्मल रेंज ही माना जाता है | 

लेकिन डॉक्टर ज्यादातर 50 को ही ज्यादा बेहतर मानते हैं। अगर आपके शरीर में विटामिन डी का स्तर 25 से कम है तो डॉक्टर आपको इसके लिए विटामिन डी सुप्प्लेमेंट्स देंगे | 

विटामिन डी से क्या होता है? Vitamin d se kya fayda

हमारे शरीर में विटमिन डी काफी अहम भूमिका निभाता है:

  • विटामिन डी की सही मात्र होने से हमारी इम्युनिटी बेहतर काम करती है | 
  • यही नहीं विटामिन डी शरीर में नर्वस और मसल्स के काम करने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है।
  • इससे कैंसर होने का खतरा कम रहता है | 
  • आपको जान कर हैरानी होगी की हमारी कमजोर हड्डियों को मजबूत होने में लगभग 150 दिन लगते हैं, वही स्वस्थ हड्डियों को खराब होने में मात्र 20 दिन लगेंगे |
  • इससे हमारी हड्डियाँ, मसल्स और लिगामेंट्स मजबूत बनते है।
  • बड़े तो बड़े बच्चों को भी विटामिन डी से अनेक लाभ मिलते है| इससे उनकी हड्डियाँ मजबूत होती है और उनका बेहतर विकास हो पाता है| 
  • आजकल के समय में बच्चों में विटामिन डी की कमी देखी जा रही है| ये मोबाइल और टीवी पर ज्यादा समय बिताने के कारण है| आप अपने बच्चों को धुप में समय बिताने के लिए प्रोत्साहित करे|
  • विटामिन डी हमारे शरीर में फॉस्फोरस और कैल्शियम की सही मात्रा बनाने में मदद करता है|
  • विटामिन डी से कम होता है डिप्रेशन
  • विटमिन डी से शरीर में ग्लूकोज लेवल रहता है कंट्रोल 
  • विटामिन डी की सही मात्रा से शरीर का एक्स्ट्रा फैट घटाया जा सकता है | 
  • विटामिन डी हमे संक्रमण से लड़ने में मदद करता है|
  • हृदय रोग और हाई बी पी जैसी समस्याओं से हमे बचाता है|
  • यही नहीं शरीर में विटामिन डी की सही मात्रा होने से हमारा दिमाग भी ठीक तरह से काम कर पता है|

विटामिन डी के सबसे अच्छे स्रोत: Vitamin D Kaise Milta Hai

  • शलजम
  • अंडे का पीला भाग 
  • हरी पत्तेदार सब्ज़ियाँ 
  • मूली 
  • पनीर
  • ऑरेंज जूस
  • पत्ता गोभी
  • माल्टा 
  • निम्बू
  • टमाटर
  • सॉल्‍मन 
  • टुना फिश 
  • मक्खन
  • छाछ 
  • कॉड लिवर 
  • गाजर 
  • सोया 
  • मशरुम 
  • मखाने 
  • ​गाय का दूध
  • दही खाएं
  • और सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण धुप | इसके लिए एकदम सुबह की धूप सही रहती है। इससे चर्म रोग का खतरा भी कम होता है।

आयर्वेद में बताया गया है की विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए आप:

- गुनगुने दूध में एक चम्मच हल्दी मिलाकर पिएं।

- रोज़ाना एक चम्मच मेथी दाना रात को भिगोकर सुबह खाएं। मेथी दर्दनिवारक होती है और हमारी हड्डियों के लिए भी अच्छी है। 

- आप चाहे तो रोज़ाना एक चम्मच बादाम का तेल जिसे बादाम रोगन भी कहते है दूध में डालकर पिएं।

यहाँ गौर करने वाली बात है की सूरज से मिलने वाले विटामिन डी या फिर अन्य खाद पदर्थो से मिलने वाले विटामिन डी से ऐसी स्तिथि का उत्पन्न होने के चांसेस बहुत कम है | इसलिए कोशिश करे की आप अपने शरीर में विटामिन डी की आपूर्ति सूर्य की रोशनी और खाद पदार्थों से कर रहे है बजाय ज्यादा मात्रा में विटामिन डी सुप्प्लेमेंट्स लेने के|

विटामिन डी की कमी के लक्षण क्या है? Symptoms of Vitamin D Deficiency

  • ​हर वक्त थकान महसूस होना
  • पीठ और हड्डियों में हर वक्त दर्द रहना 
  • चोट का जल्दी से ठीक ना होना
  • डिप्रेशन और मूड खराब रहना 
  • ​बालों का झाड़ना 
  • विटामिन डी की कमी से आपका ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है।
  • पाचन संबंधी परेशानियां होने लगती हैं।
  • मसूड़ों संबंधी बीमारियाँ होना 
  • हड्डियों का कमजोर और खोखला होना
  • जोड़ों और मसल्स में दर्द रहना 
  • हड्डियों से कट कट की आवाज़ आना
  • इनफर्टिलिटी प्रोब्लेम्स हो सकती है 
  • अनियमित पीरियड्स  

विटामिन डी विषाक्तता (Toxicity): ज्यादा विटामिन डी का नुक्सान:

आपको सावधान रहने की अव्शयाकता है क्योंकि शरीर में विटामिन डी की ज़रूरत से ज्यादा मात्रा होने के भी नुक्सान है :

  • यह आमतौर पर तब होता है जब आप प्रति माह 40,000 इंटरनेशनल यूनिट्स  (IU) या अधिक विटामिन D ले रहे हैं। या एक बार में आप बहुत ज्यादा विटामिन डी का सेवन कर रहे है तो|
  • विटामिन डी की विषाक्तता से हाइपरलकसेमिया (रक्त में कैल्शियम का उच्च स्तर) हो सकता है। यह स्थिति गंभीर समस्याओं का कारण बन सकती है, जैसे कि किडनी फेलिअर , यहाँ तक की कोमा भी| 
  • जब हम विटामिन डी की खुराक ज्यादा लेते है तो शरीर में कैल्शियम की मात्रा बढ़ सकती है| जिसके चलते भूख न लगने की समस्या पैदा हो सकती है| 
  • इसके अलावा अगर बच्चों को विटामिन डी की ज्यादा मात्रा दी जाती है तो इनको मांसपेशियों में अकड़न, चलने में परेशानी,  चिड़चिड़ापन और सांस लेने में परेशानी होने जैसे लक्षण दिखने लगते है|
  • यही नहीं ज्यादा मात्रा में विटामिन डी लेने से कब्ज, दस्त और सांस लेने में परेशानी हो सकती है|

पुरुषों की तुलना में महिलाओं में विटमिन डी की कमी ज्यादा देखी जाती है| इसका मुख्य कारण माहवारी और प्रेग्नेंसी है। विटामिन डी काफी कम है तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें। इंजेक्शन के माध्यम से विटामिन डी का स्तर कुछ हद तक ऊपर लाया जा सकता है।


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