क्या भारतीय रोटी सेहत के लिए खराब है ? Is Indian roti bad for health?

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आप चाहे इसे रोटी कहे या चपाती  कहे हजारों सालों से इसे इसी तरह बनाया गया है और कई भारतीय आहारों  में यह एक प्रमुख भूमिका निभाता है|


लेकिन क्या रोटी या चपाती वास्तव में स्वस्थ है या नहीं आइए समझते हैं ?

यह निर्भर करता है  कि हम इसे किस तरह बनाते हैं| 

पारंपरिक रोटी को पूरे गेहूं से बनाया जाता है, और इसे तवे पर  सेका जाता है । पकी हुई रोटी पारंपरिक तरीके से सेहतमंद होती है| इसमें मौजूद घुलनशील फाइबर आपकी रक्त वाहिकाओं से प्लॅक को साफ करने में मदद करता है|

यह आपको अच्छी मात्रा में कंपलेक्स कार्ब्स प्रदान करता है जिसके चलते आप ऊर्जावान महसूस करते हैं साथ ही इसमें मौजूद प्रोटीन आपकी मसल्स बिल्ड (Muscles Build) करने में मदद करते हैं इसमें कोई फैट या बसा भी नहीं होती जब तक की आप इसमें घी (Ghee) नहीं मिलाते|

रोटी का ग्लाइसेमिक इंडेक्स (Glycemic Index) कम होता है , जिसके चलते यह एकदम से आपके ब्लड शुगर लेवल्स को बढ़ाती नहीं है |

कुछ लोगों को ग्लूटेन (Gluten) से एलर्जी होती है, इसके लिए वे चाहे तो बाजरे की रोटी का इस्तेमाल कर सकते हैं|

यहां पर हम फिर से दोहरा दे की रोटी बहुत स्वस्थ होती है इसमें फाइबर की उच्च मात्रा होने के साथ-साथ कॉम्प्लेक्स कार्बोहाइड्रेट्स (Complex Carbohydrates ) और प्रोटीन अच्छी मात्रा में होता है साथ ही इसमें फैट नहीं होता|

इसके अलावा, आप पूरे अनाज की अच्छाई का आनंद लेने के लिए ज्वार, बाजरा या किसी अन्य स्वस्थ अनाज का उपयोग करके घर पर रोटी बना सकते हैं।

बस यह सुनिश्चित करें कीआप की रोटियां मैदा से ना बनी हो |

मैदा रिफाइंड आटा है और आपके शरीर पर इसका असर चीनी के समान ही होता है|  मैंदा वाली रोटी का सेवन करने से आपका वजन धीरे-धीरे बढ़ने लगता है|

आप चाहे तो रोटी बेसन से भी बना सकते हैं|  इसमें आप चाहे तो अपनी पसंद की सब्जियां मिला सकते हैं और इन्हें आटा में गोद ले| जैसे की आप चाहे तो पालक की रोटी या फिर गाजर की रोटी भी खा सकते हैं|

साधारण रोटियां भी आपको मोटा कर सकती हैं यदि आप उसमें अत्यधिक मात्रा में घी और तेल का इस्तेमाल करते हैं|

कुछ लोग यह तर्क देते हैं की बाजार में विभिन्न प्रकार के अनाज से बनी ब्रेड आजकल आसानी से उपलब्ध है| तो पारंपरिक रोटियों के बजाय वे उन ब्रेड का इस्तेमाल कर सकते हैं| लेकिन ऐसा नहीं है|

आप जिस भी तरह की ब्रेड का इस्तेमाल कर रहे हैं उसमें यीस्ट (yeast) का इस्तेमाल किया जाता है जो धीरे-धीरे आपको पाचन संबंधी समस्याएं देने लगेगा| वहीं दूसरी ओर पारंपरिक तरीके से बनी रोटी का आटा बिना किसी ईस्ट (yeast) का इस्तेमाल किए बनाया जाता है इसीलिए यह ब्रेड से बेहतर और हेल्दी (healthy) विकल्प है|

कुछ अध्ययनों में यह भी बताया है की साबुत अनाज से बनी ब्रेड आपको उतनी ही अच्छाई दे सकती हैं जो कि एक पारंपरिक रोटी|  जबकि तथ्य यह है के इन ब्रेड्स में प्रिजर्वेटिव्स होते हैं| साथ ही साबुत अनाज से बनी ब्रेड की कीमत भी नॉर्मल गेहूं के आटे से बनी रोटी से ज्यादा होती है|

आपको जानकर हैरानी होगी कि "रोटी" शब्द का इस्तेमाल दुनिया के कई देशों में ब्रेड के लिए किया जाता है जैसे कि सिंगापुर, मलेशिया और थाईलैंड| लेकिन यह हमारी भारतीय रोटियों के समान नहीं है|

थाईलैंड में, रोटी वास्तव में एक पैनकेक है, जो मैदे से बना होता है साथ ही इसे तला जाता है और उस पर खूब सारे फल, शहद और दूध डालकर उसका सेवन किया जाता है|

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